कोरोना काल में राहत देने वाली खबर है। इन दिनों संक्रमितों की संख्या तेजी से घटने लगी है। ऐसे में सरकारी-निजी अस्पतालों में ऑक्सीजन की डिमांड-सप्लाई में भी कमी आई है। क्योंकि इसकी खपत घटी है। सिविल अस्पताल में कोरोना की दस्तक के दौरान रोज 7 ऑक्सीजन सिलेंडर की डिमांड होती थी।
जुलाई के बाद यह बढ़कर 65 सिलेंडर तक पहुंच गई थी। यह नवंबर के अंत तक घटकर 30 तक पहुंच गई है। कोरोना का अटैक रोगी के फेफड़ों पड़ता है, जोकि शरीर के अंगों तक पहुंचने वाली ऑक्सीजन को प्रभावित करता है। ऐसे में रोगियों की उखड़ती सांसों को स्थिरता प्रदान करने के लिए ऑक्सीजन की जरूरत होती है। एक बड़े सिलेंडर में 7 क्यूबिक मीटर यानी 7 हजार लीटर ऑक्सीजन होती है। जिले में 2 एजेंसी ऑक्सीजन सिलेंडर सप्लाई करती है। इनमें से एक एजेंसी ने कोरोना काल के 9 माह में करीब 35 हजार सिलेंडर सप्लाई किए।
2 और संक्रमितों की मौत, 47 नये पॉजिटिव मिले
जिले में रविवार को कोरोना के 47 नये रोगी मिले, जबकि 2 संक्रमितों की मृत्यु हुई है। इन मृतकों में पटेल नगर की 48 वर्षीय महिला और सिंधड़ गांव का 61 वर्षीय वृद्ध शामिल है। आईडीएसपी इंचार्ज के अनुसार नये संक्रमितों में पुलिस कर्मी वासी आजाद नगर, जेएसएल में जेई वासी जिंदल काॅलोनी, सरकारी स्कूल का प्राचार्य, आईटीआई के 2 इंस्ट्रक्टर वासी आईटीआई व लघु सचिवालय काॅलोनी क्वार्टर वासी सहित अन्य संक्रमित मिले हैं।

फिजिशियन बोले एसपीओटू की कमी देखकर देते हैं ऑक्सीजन
सिविल अस्पताल के फिजिशियन डॉ. अजय चुघ ने बताया कि कोरोना जब चरम पर था, तब ऑक्सीजन की खपत बहुत हुई है। यह होना लाजिमी है। हालांकि बीते कुछ दिनों से राहत है। मरीजों की संख्या घटी है जिससे ऑक्सीजन की खपत कम हुई है। इसका एक कारण यह कि जिले में साढ़े तीन हजार तक पहुंच चुकी कोविड सैंपलिंग में नये रोगी कम मिल रहे हैं। कोरोना संक्रमण फेफड़ों को प्रभावित करता है। यह ब्लड में ऑक्सीजन की सप्लाई को बाधित करता है। इससे रोगी का एसपीओटू यानी ऑक्सीजन सेचुरेशन घटती जाती है। सामान्य एसपीओटू 95 तक होती है, लेकिन इसका कम होना घातक साबित हो सकता है। सांस लेना कठिन हो जाता है। इसलिए रोगी में ऑक्सीजन की कमी को पूरा करने के लिए एसपीओटू के मद्देनजर ऑक्सीजन सप्लाई की जाती है।
अगर 90 से कम सेचुरेशन है तो 6 से 8 लीटर प्रति मिनट, 70 से कम है तो 10 से 12 लीटर प्रति मिनट, वेंटिलेटर पर रोगी है तो 50 लीटर तक प्रति मिनट, एचएफएनओ से 30 से 60 लीटर प्रति मिनट तक ऑक्सीजन की सप्लाई दी जाती है। यह तब तक, जब तक एसपीओटू 95 तक न पहुंच जाए। वेंटिलेटर से ज्यादा सुरक्षित एचएफएनओ का रिजल्ट बेहतर आया है। अभी कोरोना का खतरा बरकरार है। लापरवाही न बरतें अाैर मास्क पहनें।
कई अस्पताल ऐसे, जिन्होंने लगवाई एयर कन्संट्रेटर मशीन
जिले में कई बड़े अस्पताल ऐसे हैं जिन्होंने खुद का ऑक्सीजन प्लांट एवं स्टोरेज टैंक स्थापित करवाया है। कहीं 30 सिलेंडर तक की क्षमता है तो कहीं डायरेक्ट स्टोरेज टैंक से सेंट्रल ऑक्सीजन लाइन से वार्डों में सप्लाई होती है। 2 कोविड अस्पताल ने एयर कन्संट्रेटर स्थापित कर रखे हैं, जिनसे ऑक्सीजन तैयार कर टैंक में स्टोर करते हैं। जिंदल अस्पताल और अग्राेहा मेडिकल कॉलेज में जिंदल फैक्ट्री में निर्मित ऑक्सीजन की सप्लाई होती है।
सिविल अस्पताल में बढ़ेगी ऑक्सीजन की क्षमता
सिविल अस्पताल में ऑक्सीजन स्टोरेज की क्षमता बढ़ेगी। नया प्रपोजल है कि एयर कन्संट्रेटर मशीन लगाकर ऑक्सीजन जनरेट की जाएगी। इसे एक टैंक में स्टोर किया जाएगा, जहां से सेंट्रल आॅक्सीजन लाइन से वार्डों में ऑक्सीजन सप्लाई होगी। अभी अस्पताल निजी एजेंसी से ऑक्सीजन खरीद रहा है। मशीन स्थापित होने के बाद सिलेंडर खरीदने की जरूरत नहीं होगी।
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