The Haryana news: मोदी जी ने गुजरात में लिखा डाली इतिहास की सबसे बड़ी जीत

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The Haryana news: मोदी जी ने गुजरात में लिखा डाली इतिहास की सबसे बड़ी जीत

बीजेपी ने गुजरात विधानसभा चुनावों में कुल 182 में से 156 सीटों पर जीत हासिल करके 1985 में कांग्रेस द्वारा बनाए गए 149 सीटों के रिकॉर्ड को ध्वस्त कर दिया।

मोदी जी ने गुजरात में लिखा डाली इतिहास की सबसे बड़ी जीत

मोदी जी ने गुजरात में लिखा डाली इतिहास की सबसे बड़ी जीत
                   मोदी जी ने गुजरात में लिखा डाली इतिहास की सबसे बड़ी जीत

गुजरात की जनता ने गुरुवार को विधानसभा चुनाव में बीजेपी को रिकॉर्ड तोड़ जीत दिलाकर इतिहास रच दिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

के नेतृत्व में बीजेपी ने इन चुनावों में विपक्ष का लगभग पूरी तरह से सफाया कर दिया,

और इसी के साथ मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल का सोमवार (12 दिसंबर) को शपथ लेने का रास्ता भी साफ हो गया।

भारतीय जनता पार्टी: बीजेपी पिछले 27 साल से गुजरात में शासन कर रही है

और 2027 तक वह सूबे में अपने शासन के लगातार 30 साल पूरा कर लेगी।

दिल्ली में बीजेपी मुख्यालय के बाहर एक विजय रैली को संबोधित करते हुए

पीएम मोदी ने कहा कि गुजरात के लोगों ने राज्य की स्थापना के बाद से

अब तक पहली बार सीट शेयर और वोट शेयर दोनों में पिछले सारे रिकॉर्ड टॉड दिए हैं।

भारतीय जनता पार्टी: बीजेपी ने कुल 182 में से 156 सीटों पर जीत हासिल करके

1985 में कांग्रेस द्वारा बनाए गए 149 सीटों के रिकॉर्ड को ध्वस्त कर दिया।

बीजेपी का वोट शेयर इस बार 5 साल पहले के 49.1 फीसदी से बढ़कर इस बार 52.5 फीसदी हो गया।

आम आदमी पार्टी के प्रमुख अरविंद केजरीवाल,

जो दावा कर रहे थे कि IB की एक कथित रिपोर्ट के मुताबिक उनकी पार्टी को बहुमत मिल रहा है,

को भी करारी हार का सामना करना पड़ा। AAP ने केवल 5 सीटें जीतीं,

जबकि 5 साल पहले 77 सीटें जीतने वाली मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस इस बार सिर्फ 17 सीटें ही जीत सकी।

गुरुवार की शाम बीजेपी बीजेपी मुख्यालय के बाहर मनाये गये जश्न के माहौल में गजब का आत्मविश्वास देखने को मिला।

गृह मंत्री अमित शाह और अधिकांश कैबिनेट मंत्री मुख्यालय पहुंचे, जबकि बहुत सारे कार्यकर्ता वहां पहले से जमा थे।

मोदी ने कहा, ‘जीत जितनी बड़ी है, जिम्मेदारी भी उतनी ही बड़ी है।

अब जनता की उम्मीदों पर खरा उतरना है। अब और ज्यादा मेहनत करनी है।

इस बार अपने चुनाव अभियान के दौरान मैंने कहा था कि भूपेंद्र को नरेंद्र का रिकॉर्ड तोड़ना चाहिए,

और उन्होंने ऐसा कर भी दिया।

2002 के बाद से ही मेरे हर कदम को स्क्रूटिनाइज किया जाता है,

बहुत कड़ी आलोचना की जाती है, लेकिन मैंने कभी इसका बुरा नहीं माना।

मैंने इस बात की कोशिश की कि मुझसे कोई गलती न हो।

मेरी सरकार भारत को विकास के रास्ते पर ले गई और हमारा लक्ष्य 2047 तक भारत को विकसित देश बनाना है।’

नतीजों से खुश बीजेपी के कार्यकर्ताओं ने गुजरात के लगभग सभी शहरों में जमकर जश्न मनाया।

बीजेपी के कार्यकर्ताओं ने ढोल-नगाड़े भी बजाए, पटाखे भी फोड़े और एक दूसरे पर गुलाल भी उड़ाया।

बीजेपी के 52.5 फीसदी वोटिंग प्रतिशत ने सारी कहानी कह दी।

इसका मतलब यह है कि अगर सारे विरोधी मिलकर भी बीजेपी के खिलाफ चुनाव लड़ते तो भी उसी की जीत होती।

इससे पहले गुजरात में माधव सिंह सोलंकी के नेतृत्व में 1985 में कांग्रेस को सबसे ज्यादा 149 सीटें मिलीं थी।

यह अब तक सबसे ज्यादा सीटों का रिकॉर्ड था। इंदिरा गांधी की हत्या के बाद उस वक्त कांग्रेस के लिए सहानुभूति थी।

दूसरा उस वक्त कांग्रेस ने जातिगत समीकरण बनाया था,

जिसे ‘खाम’ कहा जाता है। KHAM का मतलब था, क्षत्रिय, हरिजन, आदिवासी और मुसलमान।

इस बार मोदी के नेतृत्व में 156 सीटों के साथ हुई भारी जीत ने पिछले सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए।

इस बार बीजेपी की जीत में कोई भी जातिगत समीकरण काम नहीं आया।

गुजरात में बीजेपी की यह लगातार सातवीं जीत थी। यह चुनाव सिर्फ नरेंद्र मोदी के प्रति लोगों के विश्वास और उनके विकास के कामों के भरोसे लड़ा गया।

भूपेंद्र पटेल 150 से ज्यादा विधायकों के समर्थन से विधानसभा में बैठने वाले गुजरात के पहले मुख्यमंत्री होंगे।

उन्हें 15 महीने पहले ही पिछले साल सितंबर में मुख्यमंत्री बनाया गया था। उस वक्त उनके पास सिर्फ 99 विधायकों का समर्थन था।

गुरुवार को चुनाव नतीजे आने के बाद भूपेंद्र पटेल सबसे पहले गुजरात बीजेपी के अध्यक्ष सी. आर. पाटिल से मिले और उन्हें धन्यवाद दिया।

उन्होंने गुजरात के लोगों को शुक्रिया कहा और फिर साफ कहा कि बीजेपी की जीत नरेंद्र मोदी के प्रति गुजरात की जनता के प्यार और भरोसे का नतीजा है।

  • बीजेपी ने यह कमाल कैसे किया, ये समझना हो तो अहमदाबाद और सूरत के चुनाव नतीजे समझने होंगे।
  • अहमदाबाद में विधानसभा की 21 जबकि सूरत में 16 सीटें हैं।

अहमदाबाद की 21 में से 19 सीटों पर 90 फीसदी के स्ट्राइक रेट से बीजेपी जीती है,

जबकि सूरत की तो सभी 16 सीटों पर बीजेपी की जीत हुई यानी कि वहां 100 फीसदी का स्ट्राइक रेट रहा।

अहमदाबाद की मुस्लिम बहुल सीटों पर भी BJP को अच्छा समर्थन मिला।

सूरत में इस बार केजरीवाल की आम आदमी पार्टी को बहुत उम्मीद थी,

लेकिन वहां उनकी पार्टी का खाता भी नहीं खुला। कांग्रेस भी सूरत में शून्य पर रह गई।

सूरत की मजूरा सीट से जीत हासिल करने के बाद गुजरात के गृह मंत्री हर्ष सांघवी ने कहा कि जनता ने उन सभी सियासी दलों को जवाब दे दिया है

जो गुजरात को तोड़ने की साजिश कर रहे थे। हर्ष सांघवी नई पीढ़ी के नौजवान नेता हैं, शुरू से बीजेपी के साथ हैं।

अल्पेश ठाकोर कांग्रेस से बीजेपी में आए और गांधीनगर दक्षिण सीट से जीते।

कुछ महीने पहले बीजेपी में शामिल हुए पाटीदार आंदोलन के नेता हार्दिक पटेल ने भी विरमगाम सीट से जीत दर्ज की।

जीत के बाद हार्दिक पटेल और अल्पेश ठाकोर ने कहा कि कांग्रेस गुजरात के लोगों की जनभावनाओं का ख्याल नहीं रखती।

उन्होंने कहा कि देश और धर्म से जुड़े मुद्दों पर कांग्रेस की राय, गुजरात की जनता के रुख से अलग होती है।

दोनों ने कहा कि यही वजह है कि इस बार कांग्रेस को इतनी शर्मनाक हार झेलनी पड़ी।

हार्दिक पटेल ने तो यहां तक कह दिया कि अब अगले 25 साल तक गुजरात में BJP के अलावा किसी के लिए कोई जगह नहीं हैं।

उन्होंने कहा कि अगर कांग्रेस नहीं सुधरी, तो गुजरात में खत्म हो जाएगी।

मोरबी की सीट पर बीजेपी की जीत ने सभी को चौंका दिया। चुनाव की तारीखों के ऐलान ने कुछ दिन पहले मोरबी में पुल हादसा हुआ था,

जिसमें करीब 130 लोगों की मौत हो गई थी। विरोधियों को लगा था कि कम से कम इस सीट पर तो बीजेपी हारेगी लेकिन बीजेपी ने सही रणनीति बनाई।

पार्टी ने मोरबी के मौजूदा विधायक और भूपेंद्र पटेल सरकार के मंत्री ब्रजेश मेरजा का टिकट काटकर कांतिलाल अमृतिया को उम्मीदवार बनाया।

कांतिलाल अमृतिया ने मोरबी हादसे के बाद खुद नदी में कूदकर कई लोगों की जान बचाई थी।

कांतिलाल अमृतिया ने कांग्रेस के उम्मीदवार को 61,580 वोटों से हराया।

गुजरात में बीजेपी जीतेगी यह तो सबको पहले से पता था, लेकिन कांग्रेस की इतनी बुरी हार होगी, इसकी उम्मीद किसी को नहीं थी।

जो आम आदमी पार्टी सरकार बनाने का दावा कर रही थी,

वह 5 सीटों पर अटक जाएगी, ऐसा उन्होंने भी सोचा नहीं होगा।

गुजरात की जनता ने उन लोगों को जवाब दे दिया जो कहते थे

कि मोदी को 50 किलोमीटर का रोड शो इसलिए करना पड़ा क्योंकि बीजेपी चुनाव हार रही है।

लेकिन गुजरात में BJP की बंपर जीत सिर्फ मोदी के 5 दिन के कैंपेन और 4 घंटे की रोड शो से नहीं हुई।

मोदी ने इस चुनाव को ऐतिहासिक तौर पर जीतने की तैयारी 5 साल पहले ही शुरू कर दी थी,

जब 2017 के चुनाव में पार्टी को सिर्फ 99 सीटें मिली थीं।

मोदी को गुजरात में इतनी कम सीटें आना बर्दाश्त नहीं हुआ,

और उन्होंने उसी वक्त तय कर लिया था कि 2022 के चुनाव में इतनी सीटें जीतेंगे कि एक इतिहास बन जाए।

2017 के चुनाव के बाद एक-एक करके कांग्रेस के कई विधायक इस्तीफा देकर बीजेपी में शामिल हो गए।

मोदी की नजर क्षेत्रीय और जातिगत समीकरणों पर भी थी।

उनकी नजर खासतौर से उन नेताओं पर थी जिनका असर आदिवासी क्षेत्रों में है।

मोदी ने सौराष्ट्र का ध्यान रखते हुए वहां के 3 सांसदों को केंद्र सरकार में मंत्री बनाया और फिर सत्ता विरोधी लहर की हवा निकालने का प्लान बनाया।

उन्होंने एक झटके में मुख्यमंत्री विजय रूपाणी समेत गुजरात की पूरी सरकार बदल दी।

इसके बाद पाटीदार भूपेंद्र पटेल को मुख्यमंत्री बनाया

और थोड़े ही दिन बाद पाटीदारों में प्रभावशाली हार्दिक पटेल और OBC नेता अल्पेश ठाकोर को बीजेपी में शामिल कर लिया।

धीरे-धीरे मोदी ने गुजरात में क्षेत्रीय और जातिगत समीकरणों की ऐसी बिसात बिछाई कि कांग्रेस पूरी तरह चकरा गई।

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