कोरोना से मौत पर कई अपने कंधा देने भी नहीं आते, नगर निगम कर्मचारी पीपीई किट पहन करवाते हैं अंतिम संस्कार

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कोरोना रोहतक के हमारे 50 लोगों की जान ले चुका है और पीजीआई रोहतक में तो 11 जिलों के 167 से ज्यादा लोग वायरस से जिंदगी गंवा चुके हैं। त्रासदी यह है कि इन शवों को उनके परिजन घर भी नहीं ले जा सकते। कई को तो अंतिम दर्शन भी नसीब नहीं होते तो किसी को चार कंधों पर अंतिम यात्रा भी नहीं मिल पाती। कई केस ऐसे हैं जहां अपनों ने ही अग्नि देने से मना कर दिया। ऐसे विकट हालात में नगर निगम की पांच सदस्यीय टीम पूरे कोरोना काल में इन शवों का अंतिम संस्कार करने के लिए डटी हुई है।

यह टीम पीपीई किट पहनकर पिछले 6 माह में 162 शवों का वैश्य कॉलेज रोड पर स्थित श्मशान घाट में संस्कार करा चुकी है। वहीं, एक अन्य 5 सदस्यीय टीम 5 मुसलमानों के शवों को दफन कर चुकी है। कोरोना काल में जहां आम लोग कोरोना मरीज के पास जाने से भी डरते हैं, वहां यह टीम कोरोना वॉरियर की तरह मुस्तैदी से 16 घंटे तक ड्यूटी पर डटी है। इनके इस काम को सलाम। हमने इस टीम से उनकी राह में आने वाली चुनौतियों के बारे में जाना।

कर्मचारियों को 4 दिन की दी ट्रेनिंग
नगर निगम की ओर से सीएसआई सुंदर सिंह ने सबसे पहले कोरोना के शिकार होने वालों के अंतिम संस्कार के लिए ट्रेनिंग ली। उनकी निगरानी में 8 से 10 दिन अंत्येष्टि की गई। इसके बाद एएसआई नरेंद्र को यह जिम्मेदारी दी गई। नरेंद्र को सुंदर सिंह ने 4 दिन कोविड-19 से बचाव और जरूरी निर्देशों का प्रशिक्षण दिया। नगर निगम के एक्सईएन मंजीत दहिया ने बताया कि कोविड-19 प्रभावितों के शव के अंतिम संस्कार के लिए नगर निगम कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई गई है। पूरी प्रक्रिया के दौरान सारे नियमों की पालना की जाती है। कर्मचारियों के स्वास्थ्य सहित हर जरूरत को प्राथमिकता दी जाती है ताकि उनको किसी भी प्रकार की दिक्कत न होने पाए।

शुरुआत में परिवार ने किया विरोध, अब तो 4 साल का बच्चा भी समझने लगा है
निगम एएसआई नरेंद्र ने बताया कि शुरुआत में उसकी पत्नी अनीता कुमारी व मां ने कोविड-19 के शिकार लोगों के अंतिम संस्कार की मिली जिम्मेदारी छोड़ने को कहा, लेकिन बाद में समझाने पर वह मान गए। अब 4 वर्ष का बेटा गर्वित भी इतना समझदार हो गया है कि वह मेरे घर आने पर कहने लगता है अभी आपके पास नहीं आऊंगा। पहले खुद को और बाइक को सेनिटाइज करो। वैसे बचाव के मद्देनजर बच्चे से दूरी बनाकर रखनी पड़ती है।

संस्कार के लिए बनाए 3 कुंड, अभी विद्युत शवदाह गृह नहीं बना
एएसआई नरेंद्र ने बताया कि श्मशान घाट पर पहले कोरोना डेड बॉडी के अंतिम संस्कार के लिए दो कुंड तय किए गए थे। यहीं पर बारी-बारी से शवदाह होता था। अब कुंड की संख्या बढ़ाकर 3 कर दी गई है। एएसआई ने बताया कि विद्युत शवदाह गृह का प्रोजेक्ट वैश्य कॉलेज रोड पर स्थित श्री शिव मंदिर श्मशान घाट पर लगाया जाना है। 25 दिन पहले इसका फाउंडेशन बनाकर तैयार कर दिया गया, लेकिन अभी तक मशीन नहीं लग पाई है। उन्होंने बताया कि इसके चालू होने पर हर 40 मिनट बाद शव का अंतिम संस्कार किया जा सकेगा।

गर्भवती महिला के पति ने मुखाग्नि से किया इंकार
जून में सोनीपत निवासी एक 21 वर्षीय गर्भवती महिला का शव पीजीआई की टीम लेकर श्मशान घाट पहुंची। निगम की टीम ने शव उतारा और चिता पर रख दिया। इस दौरान परिजन मौजूद थे, लेकिन उन्होंने मुखाग्नि देने से इंकार कर दिया। 15 दिन पहले 16 साल की एक लड़की का शव दाह संस्कार के लिए यहां लाया गया। मुखाग्नि के बाबत उसके पिता ने फोन पर मना कर दिया तो नगर निगम की टीम ने मुखाग्नि दी।

परिजनों ने शव को दिखाने के लिए मचाया बवाल
अंतिम संस्कार के दौरान मात्र 2 परिजनों को ही श्मशान घाट में अंदर एंट्री मिलती है। उनको निगम की ओर से पीपीई किट, मास्क व अन्य सुरक्षा उपकरण देते हैं। 20 अगस्त को 85 वर्षीय बुजुर्ग के शवदाह के समय जनता कॉलोनी वासियों ने बवाल मचा दिया। वह सब मृतक का मुख देखने की जिद पर अड़ गए। पुलिस बुलाने पर मामला शांत हुआ।

कोरोना पॉजिटिव जेई ने फैलाई दहशत
जुलाई माह में जुलाना निवासी बुजर्ग के शव के साथ उनका जेई बेटा श्मशान घाट पहुंच गया। अंतिम संस्कार के दौरान वह इधर-उधर घूमता रहा। जाते समय उसने निगम की टीम को कहा कि वह भी कोरोना पॉजिटिव है। इसके बाद आनन-फानन में पूरा परिसर सेनिटाइज करवाया गया।