इंसाफ दिलाना तो दूर, शांतिपूर्वक धरने पर बैठी मृतक वकील की भाभी को शौचालय तक नहीं जाने दिया जा रहा; जानें क्या कहता है देश का संविधान

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https://www.theharyananews.in/2020/12/22-180.html

(आरती एम अग्निहोत्री). किसी भी अन्याय से लड़ने के लिए जरूरी है कि पहले सांस चलती रहे। अगर यही थम गई तो फिर सारी कहानी खत्म। कानून की रखवाली करने वाले हरियाणा पुलिस के अधिकारियों-कर्मचारियों को इतनाभर भी समझ नहीं आ रहा। हम बात कर रहे हैं करीब पांच महीने पहले गुड़गांव में संदिग्ध हालात में मृत मिली चंडीगढ़ की वकील की। उसका परिवार बार-बार एक ही आरोप लगा रहा है कि उनकी बेटी का रेप के बाद मर्डर किया गया है और पुलिस इस मामले को दबाना चाहती है। इसी मसले को लेकर मृतका का भाई अपनी पत्नी के साथ पिछले एक हफ्ते से DGP हरियाणा मनोज कुमार यादव के कार्यालय के बाहर धरने पर बैठा है। एक दम शांतिपूर्वक। इसी प्रदर्शन के दौरान अब एक बड़ी समस्या यह आ रही है कि धरने पर बैठी महिला को पुलिस शौचालय तक नहीं जाने दे रही। पुलिस की इस हरकत की मानवीय दृषटिकोण के अलावा कानूनी और स्वास्थय विशेषज्ञों ने भी आलोचना की है।

पीड़ित ने बताया कि वह अपनी पत्नी के साथ पिछले एक हफ्ते से DGP हरियाणा के दफ्तर के बाहर पीसफुल प्रोटेस्ट कर रहा है। शुक्रवार और शनिवार को जब पत्नी को वॉशरूम जाना था तो उन्हें कार्यालय में नहीं जाने दिया गया। तब तो वह यह सोचकर चुप रह गए कि शायद क्रिसमस की छुट्‌टी और शनिवार की छुट्‌टी के चलते ऐसा किया गया है। लेकिन सोमवार काे भी मेरी पत्नी बाहर तैनात पुलिसकर्मियों के पास गई और उसने फिर से वॉशरूम जाने देने की विनती की तो उसे अंदर नहीं जाने दिया। हमें कह दिया गया कि अंदर कोई वॉशरूम है ही नहीं। इसके बाद मैंने जब पूछा कि आपके यहां इतनी महिला अधिकारी कांस्टेबल हैं, वो भी तो कहीं जाती होंगी। इसपर सामने से कोई जवाब नहीं आया। मुझे पीछे बोलता एक मुलाजिम सुनाई दिया जो कह रहा था कि अनिल ने इन्हें अंदर आने देने के लिए मना किया है। अजय ने बताया कि नारी सम्मान करने वाले प्रदेश में इस तरह नारी का सम्मान किया जा रहा है कि उसका शौचालय जाना भी रोक दिया गया। उन्होंने बताया कि तीनों दिन हम अपना प्रोटेस्ट बीच में छोड़कर उठ गए। हमें दूसरी जगहों पर रिक्वेस्ट करनी पड़ी तब कहीं पत्नी शौचालय जा पाई।

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बार एसोसिएशन पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट चंडीगढ़ के सेक्रेटरी चंचल के सिंगला।

यह कहता है आजाद भारत का संविधान

बार एसोसिएशन पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट चंडीगढ़ के सेक्रेटरी चंचल के सिंगला ने बताया कि यह भारतीय संविधान के आर्टिकल 21 और आर्टिकल 38, दोनों की उल्लंघना है। आर्टिकल 21 हमें राइट टू लाइफ और लिबर्टी देता है। सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के मुताबिक किसी भी भारतीय नागरिक ही नहीं, बल्कि किसी भी व्यक्ति को यह अधिकार प्राप्त है कि अपनी आजादी और सुरक्षा के लिए वह कोर्ट जा सकता है।उसे जरूरी चीजों के लिए नहीं रोका जा सकता। वहीं आर्टिकल 38 के अंतर्गत सरकार लोगों की वेलफेयर को प्रोमोट करेगी और किसी भी तरह की असमानता को दूर करेगी। DGP का दफ्तर एक सार्वजनिक दफ्तर है जहां जाने से किसी को नहीं रोका जा सकता। वहीं सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के मुताबिक अगर कोई पीसफुल प्रोटेस्ट कर रहा है तो उसे उसके बेसिक अधिकारों से वंचित नहीं किया जा सकता। सिंगला ने आगे बताया कि अगर किसी पर कोई संशय है भी,तो भी उनका सिक्योरिटी चेक इन करने के बाद उन्हें अंदर जाने दिया जा सकता है। इतना ही नहीं प्राइवेट होटल्स और रेस्तरां भी किसी को वॉशरूम जाने से नहीं रोक सकते।

यूरिन का प्रेशर रोकने से ऐसे बन आती है जान पर

उधर, स्वास्थ्य विशेषज्ञों की मानें तो यूरिन का प्रेशर ज्यादा देरतक रोकने पर जान भी जा सकती है। हालांकि मसला थोड़ा पुराना है, लेकिन हाल ही में चंडीगढ़ में धरने पर पैदा हुए हालात को समझने के लिए काफी है। दरअसल, 2007 में अमेरिका में एक रेडियो की तरफ से आयोजित प्रतियोगिता में हिस्सा ले रही एक महिला की अधिक पानी पीने से मौत हो गई थी। उस दौरान हर प्रतियोगी को 225 मिलीलीटर की पानी की बोतलें दी गई थी, जो उन्हें हर 15 मिनट में पीनी थी, वो भी बिना शौचालय जाए। मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक जैसा कि प्रतियोगिता का नियम था कि इस जीतने के लिए शौचालय जाए बिना अधिक से अधिक पानी पीना था। 28 साल की जेनिफर स्ट्रेंज ने वैसा ही किया। आठवें दौर के बाद प्रतियोगियों ने आधा लीटर पानी पिया, जबकि जेनीफर ने 7.5 लीटर पानी पी लिया। हालांकि वह शर्त हार गई। इसके बाद वह अचानक गिर गई और जब अस्पताल ले जाया गया तो वहां डॉक्टर्स ने मौत का कारण शरीर की अमोनिया गैस दिमाग में चढ़ जाना और खून में यूरिया का लेवल बढ़ जाना बताया था। इस मामले में 2009 में कैलिफ़ोर्निया की अदालत ने सैक्रामेंटो रेडियो स्टेशन के DND FM और इसके मालिक को इस महिला की मौत का जिम्मेदार माना था। फिर संबंधित रेडियो स्टेशन ने महिला के परिजनों को एक करोड़ साठ लाख डॉलर (लगभग 70 करोड़ रुपए) का मुआवजा दिया था।